योग गुरु डॉ.मिलिन्द्र त्रिपाठी का जन्म उज्जैन मध्यप्रदेश में मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ । बेहद संघर्षपूर्ण जीवन के दौरान भी समाज सेवा के कार्यो में आपकीं बाल्यकाल से ही रुचि रही है । आपने योग में विश्व कीर्तिमान बनाकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम गौरवांवित किया । आप भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल यूजीसी नेट जेआरएफ दो विषयों में उच्च क्षेणी के साथ उत्तीर्ण है । वर्तमान में आप मध्य भारत की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी रबिन्द्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी भोपाल में योग के असिस्टेंट प्रोफेसर है ।
आप भारत सरकार द्वारा आयोजित खेलो इंडिया प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर निर्णायक की भूमिका निभा चुके है । योग क्षेत्र में दिनों दिन बढ़ती उनकी ख्याति का ही परिणाम था कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आयोजित खेलो एमपी यूथ गेम्स योगासना के फायनल में बतौर अतिथि शामिल होकर स्वर्ण पदक विजेताओं को आपके हाथों से मेडल प्रदान कराया गया । ऑनलाइन माध्यमों से कोरोना काल मे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोरोना ग्रस्त 700 मरीजों को योग द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया ।
वर्तमान में वे प्रतिष्ठित उज्जैन योग इंस्टीट्यूट के संस्थापक एवं डायरेक्टर है ।मध्य भारत की सबसे बड़ी योग संस्था उज्जैन योग संघ के सचिव है ।
उनकी संपूर्ण विद्यालयीन शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में हुई । जहां नियमित योग सिखाया जाता था । यही से उनकी योग यात्रा की शुरुआत भी हो गयी बाल्यकाल से ही योग के प्रति रुचि होने से वे नियमित योग साधना करने लगे । जिसका सकारात्मक असर उनकी शिक्षा में साफ नजर आने लगा एक कमजोर छात्र से वे मेधावी छात्र में परिवर्तित हो गए । एक बेहद संवेदनशील समाजसेवक के रूप में उज्जैन संभाग में उनकी प्रतिष्ठा दिन ब दिन बढ़ती गयी । समय के साथ उन्होंने महसूस किया कि मानव जाति अनेक घोर बीमारियों से पीड़ित है और उसकी गरीबी के पीछे के प्रमुख कारणों में उसका अस्वस्थ होना भी एक बड़ा कारण है । अनेक भारतीय परिवारों का आमदनी से ज्यादा खर्च बीमारियों के इलाज एवं दवाओं के खर्च में जाता है । यही से मानव सेवा हेतु डॉ.त्रिपाठी ने योग चिकित्सा द्वारा रोगों के निदान हेतु परामर्श देना एवं प्रायोगिक रूप से वैज्ञानिक आधारों पर योग कराकर अनेक रोगों में सकारात्मक परिणाम नागरिकों को प्रदान किये है । जिसका सबसे बड़ा प्रमाण था बीमारियों से पीड़ितजनों की चिकित्सकीय रिपोर्ट जिसमे प्रति माह सकारात्मक बदलाव साफ नजर आने लगे । आज उनके द्वारा लिखित योग लेखों की पाठकों की संख्या दुनियाभर में 3 लाख 72 हजार से भी अधिक है । आपकीं पुस्तक योग चिकित्सा एवं तनाव प्रबंधन में ध्यान की भूमिका को नागरिकों द्वारा बहुत सराहा गया है । यूट्यूब पर आपके योग ज्ञान पर आधारित वीडीयो को अब तक 4 लाख 50 हजार नागरिकों द्वारा देखा गया है । अनेक समाचारपत्रों के मुख्य पृष्ठ पर आपके योग लेखों को अनेक बार स्थान प्राप्त हुआ है । भारत सरकार द्वारा स्थापित शोध पत्रिकाओं में आपके शोध पत्रों का प्रकाशन हुआ है ।