आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 की 100 दिन की उल्टी गिनती के राष्ट्रव्यापी उत्सव के रूप में एक व्यापक अभियान चला रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024 के लिए 12 दिन शेष बचे हैं इसी उपलक्ष्य में आज योग से वैज्ञानिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक पुनर्जागरण के संकल्प के साथ “योग महोत्सव” कार्यक्रम का उज्जैन में आरम्भ हुआ ।
9 जून 2024 को सुर्योदय के साथ शुरू हुए भारत माता मंदिर में आयोजित इस आयोजन में 1 हजार से ज्यादा योग साधकों ने कॉमन योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) का पालन करते हुए योग किया। उज्जैन योग लाइफ सोसायटी एवं आरोग्य योग संकल्प केंद्र के संयुक्ततत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में उज्जैन के नागरिकों ने बढ़चढ़ के हिस्सेदारी की । योग प्रोटोकॉल का अभ्यास डॉ लतिका व्यास ने स्वरदा मिश्रा व रुचिका हरभजनका के सहयोग से करवाया ।
नगर और प्रदेश से अनेक गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति और संबोधन से योग महोत्सव आयोजन को गरिमा प्रदान किया।
अभ्यास सत्र की अतिथि उज्जैन नगर निगम की सभापति कलावती यादव ने कहा कि
“भारत की योग विद्या, विश्व समुदाय को हमारी अमूल्य सौगात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष विश्व के अधिकांश देशों में उत्साह के साथ योग दिवस मनाया जाता है। अपने संकल्प में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह स्पष्ट किया था कि योग पद्धति स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है और पूरे विश्व समुदाय के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।”
महामंडलेश्वर श्री अवधेशपुरी जी महाराज ने कहा कि स्वास्तिक के ऊपर दीपक रखकर ध्यान योग करने से आध्यात्मिक चेतना विकसित होगी । विश्व मे योग के माध्यम से भारत पुनः विश्व गुरु का वैभव प्राप्त कर रहा है ।
दोनों अतिथियों का स्वागत महोत्सव के संयोजक डॉ मिलिंद्र त्रिपाठी ने किया।
राष्ट्रीय योग संगोष्ठी में
अतिथि के रूप में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश पांडेय,
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति विजय कुमार मेनन, आचार्य डॉ.तुलसीदास पुरोहा, प्रो.एस. के मिश्रा विभागाध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग विक्रम विश्वविद्यालय, नीदरलैंड से योग गुरु सोफिया, मोरक्को से योगगुरु सारा, विजयवाडा के डॉ. अमोघ कुमार गुप्ता अध्यक्ष ,विज्ञान भारती मध्य भारत प्रान्त, डॉ. जय प्रकाश शुक्ला वरिष्ठ वैज्ञानिक,
सी यस आई आर ,एम्प्री ,भोपाल, प्रो प्रमोद कुमार वर्मा
प्रोफेसर और प्रमुख, स्कूल ऑफ अर्थ साइंस स्टडीज, विक्रम विश्वविद्यालय, डॉ.अनिल तिवारी रबिन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल आदि ने संबोधित किया ।
प्रो.अखिलेश पाण्डेय, कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय ने कहा कि
“योग शारीरिक गतिविधि से कहीं ज़्यादा है । यह आपके हार्मोन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है । जब आप नियमित रूप से योग करते हैं, तो आपका शरीर ऐसे हार्मोन रिलीज़ करता है जो तनाव को कम करने, ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने और आपके समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।जब आप नियमित रूप से योग करते हैं तो आपका दिमाग हैप्पी हार्मोन रिलीज़ करता है जिससे आपका शरीर रिलैक्स होता है और आपको स्ट्रेस की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही योग करने से आपके दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिसकी मदद से आपका दिमाग स्वस्थ्य रहता है।”
प्रो.विजय कुमार मेनन, कुलपति, पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय ने कहा कि
“प्राप्तम् अप्राप्तम् उपासीत
हृदयेन अपराजित:
अर्थात हृदय से अपराजित रहते हुए जो कुछ मिला और जो कुछ नहीं मिला, उन सब का सम्मान करो।”
कैवल्य अर्थात मोक्ष को हमारी परंपरा में सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ माना गया है। अर्थ, काम और धर्म के चरणों से गुजर कर व्यक्ति कैवल्य प्राप्त करना चाहता है। ईश उपनिषद में कहा गया है विद्ययाऽमृतमश्नुते। उस उपनिषद में यह समझाया गया है कि व्यावहारिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। व्यावहारिक ज्ञान से अर्थ, धर्म और कामनाओं की प्राप्ति होती है। अध्यात्म से अमरता यानी मोक्ष अथवा कैवल्य की प्राप्ति होती है। समग्र शिक्षा में व्यावहारिक और आध्यात्मिक ज्ञान का संगम होता है।
दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.एस.के मिश्रा ने कहा कि
“योग पद्धति व्यक्ति के समग्र विकास का मार्ग है। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक उत्कर्ष के माध्यम के रूप में योग प्रणाली को प्रभावी माना जाता है। योग के माध्यम से चित्तवृत्तियों का निरोध करके प्रज्ञा की स्थिति अर्थात समत्व की स्थिति प्राप्त की जा सकती है।”
योग विभागाध्यक्ष आचार्य तुलसीदास पुरोहा ने कहा कि
“समत्वम योग उच्यते एवं योग: कर्मसु कौशलम के माध्यम से समस्त श्रोता गण से अपनी जीवनशैली में योग को अपनाने का आव्हान किया।”
डॉ.अमोघ गुप्ता ने कार्यक्रम हेतु बधाई देते हुए अपने भाषण की शुरुआत की। उन्होंने कहा, “योग समग्र अर्थ का विज्ञान है। इसका उद्देश्य पतंजलि योग सूत्र में वर्णित कैवल्य को प्राप्त करना होना चाहिए। कैवल्य अनंत आनंद, अनंत शक्ति, अनंत ज्ञान और अनंत स्वतंत्रता की स्थिति है।”
डॉ.जयप्रकाश शुक्ला ने कहा कि
“योग भारतीय सार, हमारे आध्यात्मिक गौरव, हमारी जागृति को जगाने की विधि है। हम ऐसे देश में पैदा हुए हैं जहाँ आध्यात्मिक आकांक्षा, मौलिक ज्ञान, वेदांत, सांख्य, योग, तप, ज्ञान, विज्ञान, आस्था, विश्वास तब भी प्रवाहित होते रहे जब मनुष्य अपनी पहचान से अनभिज्ञ थे।”
भौमिकी विभागाध्यक्ष डॉ.प्रमोद कुमार वर्मा ने कहा कि
“जीवन में योग व योगदर्शन को समझना ही नहीं है अपितु इसका निरंतर अभ्यास करना भी बहुत जरूरी है। जीवन सफल बनाने के लिए हमें योग के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान को भी अंगीकार करना होगा और योग के जरिये ही हम सही आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।”
नीदरलैंड की योगगुरू सोफिया ने कहा कि “योग एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 साल पहले हुई थी।महर्षि पतंजलि ने योग की जटिलताओं को एक सूत्र में पिरोया जिसे हम पतंजलि योगसूत्र के नाम से जानते है। वर्तमान काल में भी पतंजलि योगसूत्र से व्यक्ति सामान्यतः परिचित है। इस सूत्र को अष्टांग योग के नाम से भी जानते है जो कि यम,नियम,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा,ध्यान , समाधि से मिलकर बना है ।”
योगगुरु डॉ. राधेश्याम मिश्र ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य नगर वासियों को विश्व योग दिवस के प्रति जागरूकता निर्मित करने और योग अनुरागियों व शिक्षकों को कॉमन योग प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिलाना हैं। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया है “हर घर योग अभियान” को सफल बनायें ।
मानव जाति के कल्याण हेतु उज्जैन में नियमित योग माध्यम से सेवा देने वाले योगचार्यो को योग रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया । जिसमें योगचार्य डॉ.मालाकार (उम्र 87 वर्ष ), गिरिजेश व्यास,प्रवीण पंड्या ,सिम्मी सक्सेना,सुषमा यादव को सम्मानित किया गया । सर्वश्रेष्ठ योगिनी अवॉर्ड वृत्तिका जोशी जी एवं सर्वश्रेष्ठ योगी अवॉर्ड शुभम शर्मा को प्रदान किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन योगगुरु डॉ.मिलिन्द्र त्रिपाठी ने किया एवं आभार योगलाइफ के अध्यक्ष डॉ.राधेश्याम मिश्र ने माना।